रूठ ना जाना तुमसे कहूं तो ...
मा. जावेद अख्तरजी
नमस्ते
आपका उस दिन का बयान सुनकर यह खत आपको लिख रहा हुं | 1993 मे एक फिल्म आई थी "1942 अ लव्ह स्टोरी" | जिस वर्ष मे भारत की आजादी का बड़ा आंदोलन हुवा था उसी वर्ष 1942 के आगे "लव्ह स्टोरी" लिखकर जो प्रमुख घटना है उसे भुला देने की कोशिश करना ये आप फिल्मवाले लोग बड़ी खूबी से करते है | खैर वह फिल्म अब बहुत पुरानी हो चुकी है | लेकिन इस फिल्म के गीत आपने लिखे थे जिनमेसे एक था "रूठ ना जाना तुमसे कहूं तो" यह बड़ाही प्यारा , संजीदा, प्यार का इझहार करनेवाला गीत है | इस गीतमे नायक अनिल कपूर नायिका मनीषा कोईराला उनके दिल की बात सुनकर वह कहीं रूठ ना जाये इसलिए "रूठ ना जाना तुमसे कहूं तो" ऐसा कहते है | आज आपको खत लिखते वक्त ऐसा लगा की इस खत को पढकर आप भी कंही रूठ ना जाये , बुरा ना मान जाये इसलिए शुरुमे , खत के शीर्षक मे ही "रूठ ना जाना तुमसे कहूं तो" ऐसा मैने लिखा है | आपने जैसे आपके विचार प्रकट किये है तो मै भी अपने विचार इस खत के जरीये प्रकट कर रहा हूं , क्यों की विचार प्रकट करनेकी हम सभी को आजादी अपने देश ने दि है | यह स्पष्ट कर देता हूँ की यह खत मै एक हिंदुस्थानी होने के नाते लिख रहा हूं ना कि किसी संघटना के नुमाईंदे के नातेसे | हिंदुस्थान मे पले-बढे आप जैसे प्रख्यात लेखक की तरह मै भी थोडी बहुत कलम घसीट लेता हूं | आपने आपकी कलम की जादू से यंही इसी भारत वर्ष मे बडी इज्जत , शौहरत, रुतबा हासिल किया है | इसी हिंदुस्थान की लोकशाही के कारण कोई भी व्यक्ती, डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने लिखे संविधान ने दिये हुये व्यक्तिस्वतंत्रता अर्थात बोलने की आझादी के कारण जो चाहे वो बोल सकता है | दुनियाभरमे केवल अपना ही मुल्क ऐसा है की जहां इस तरह की आजादी है लेकीन बहुत बार इसका गलत इस्तेमाल भी हुवा है और आज भी होते आ रहा है |
आपने उस रोज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तालिबान संघटना के साथ जो तुलना की वह भी ईसी आझादी के कारण | लेकीन यह तुलना किसी भी सच्चे हिंदुस्थानी को रास नही आयी | आपने फर्माया था की,
"जो लोग आर.एस.एस. , व्ही.एच.पी. तथा बजरंग दल इनको सपोर्ट करने की मानसिकता रखते है वो तालिबानी जैसे ही है | जिस तरह तालिबान मुस्लीम राष्ट्र बनाना चाहता है उसी प्रकार इन सभी संघटनाओंकी भी हिंदुराष्ट्र बनाने की मानसिकता है | तालिबानी हिंसक है लेकिन भारत की इन संघटनाओंको सपोर्ट करनेवालो की मानसिकता भी वही है |" आपका ऐसा बयान देनेका मकसद दुनियामे आर.एस.एस. के बारेमे भ्रम पैदा करनेके सिवा और क्या हो सकता है ? जावेद अख्तर साब आप ऐसी बात सिर्फ भारतमेहि कर सकते हो क्युं की यहा की सहिष्णुता से पूरी दुनिया वाकिफ है | पिछले दिनो आपने देखा होगा, या नही देखा होगा तो आपको यह बताना मुनासिब लगता है की किस तरह आर.एस.एस. ने और उसको सपोर्ट करनेवालोंने कोरोना आपदा मे मदत की है और जिसे दुनिया ने भी माना है | केवल कोरोना पॅनडेमीकमे ही नही तो इससे पहले भी आयी हुई सैंकडो विपदाओंमे आर.एस.एस. और उसके समर्थकोने इस देश मे मदत की है | जिस तरह आर.एस.एस. और उसके समर्थक अपनी कई अन्य साथी संघटनाओं के साथ शिक्षा, कृषी, सेवा, समरसता, आदीवासी विकास इन क्षेत्रोमे कार्य करता है , वैसा कोई उदाहरण अगर तालिबान जैसी संघटनाओं का हो तो आप जरूर बताये | लेकिन ऐसा हो ही नही सकता की तालिबान जैसी हिंसक संघटना ऐसे कुछ सेवा कार्य करती हो | फिर भी तालिबान अगर आर.एस.एस. जैसी हो तो उन्होने अफगाणिस्थान की सत्ता हासिल की तब वंहा के नागरिकोने उनसे डरकर देश क्यूँ छोडा ? जनाब आप फिल्मी दुनिया के एक जानेमाने लेखक, गीतकार हो | आपके कई चाहनेवाले है | 1970 के दशक की कई यादगार , आपहीकी लिखी हुई कई फिल्मे मैने भी देखी है, आपने लिखे हुए कही गाने सुने है और सुनता हूं | आपका पुरानी फिल्मो तथा कलाकारोंके बारे मे एक बहुत अच्छा कार्यक्रम हुवा करता था, वह भी मै देखता था | आप उस कार्यक्रम का अँकरिंग बहुत ही अनोखे अंदाज मे करते थे जिसमे उर्दू भाषा के कई मीठे शब्दोका इस्तेमाल भी आप किया करते थे , और दर्शक उस का लुफ्त उठाते थे | आप आपके सिनेमा क्षेत्र मे मिली हुयी सफलताके कारण राज्यसभाके सांसद भी रह चुके है | यह भी आपकी एक मिसाल है और भारतने आपको दिया हुवा सन्मान भी है | आपका तालिबान और आर.एस.एस. की तुलना का जो बयान है वह तमाम देशवासियों को ठीक नही लगा | क्यूँकी वैसी ढेर सारी प्रतिक्रिया कई लोगोने दी है | आर.एस.एस. क्या है ये जानने के लिये आपको उसे नजदीकसे देखना होगा ना की किसी चश्मेसे | पिछ्ले दिनो जब सचिन तेंडुलकरने कुछ राजकीय वक्तव्य किया था तब शरद पवारजी ने उन्हे , "अपने क्षेत्र से अलग विषय पर बोलने में बरतें सावधानी' ऐसी नसीहत दी थी | अब आपको शरद पवारजी से ऐसी नसीहत मिलनेकी उम्मीद नही | लेकीन आज भी अगर आपने आपके क्षेत्र की तरफ ध्यान दिया तो फिल्मोके इस बुरे दौरमे कुछ अच्छी कहानीवाली फिल्मे दर्शकोंको देखने के लिये मिल सकती है | इसलिए आपने भी आर.एस.एस. की तुलना तालिबान जैसी संघटनाओंसे करने की बजाय आपके क्षेत्र मे ध्यान देना बेहतर है | यह सब आपको लिखा , इसलिए फिरसे एकबार "रूठ ना जाना तुमसे कहूं तो" इस आपहीके गीत की पंक्ती का आधार लेकर खत पूरा करता हूं |
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