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२२/०१/२०२०

Article on a memory of a Dev Anand movie Guide Song, "Aaj Fir Jine Ki Tamanna Hai"

“आज फिर जीने की तमन्ना है” 
मै मराठी लेखक हूं |  यह मेरा पहला हिन्दी लेख है |
इस लेखमे  कुछ गलतीयां हुयी हो तो क्षमाप्रार्थी हूं |
उस दिन हम सब दोस्त चितौडगढ देखने हेतू खामगांव (महाराष्ट्र) से निकले | 19 जनवरी को महाराणा प्रतापजीके पुण्य स्मरण के दिन हमारा चितौड पहुचना यह हमने महाराणा प्रतापजी को हमारी औरसे श्रद्धांजली है ऐसा समझा | चितौड घुमते कई विरोंकी कहानीया याद आ रही थी ,अल्लाउद्दीन खिलजी के आक्रमणके समय महाराणी पद्मिनी और उनके संग कई स्त्रियों ने किये हुये जौहर (अग्नि समर्पण) की कहानी सुननेसे रौंगटे खडे हो जाते है | चितौड तो विरोंकी गाथा है | बप्पा रावल, राणा सांगा, रतनसिंह, महारानी पद्मिनी, संत मीरा बाई, महाराणा प्रताप आदी के बारे मे बताते हुये हमारा गाईड चेतन सालवी (गाईड सिनेेेमा के राजू गाईड जैसे) हमे ले जा रहा था | सबसे पहले तो वह हमे मीराबाई के मंदीर ले गया | मीराबाई, उनका भगवान कृष्णकेे  प्रती प्रेमभाव
"मेरे तो गिरीधर गोपाल, दुसरो ना कोई |" 
ऐसा था| कृष्णके प्रती उनका बडा भक्तीभाव था |एक राजवंश की स्त्रीने कृष्णभक्ती मे लीन होकर घुमना यह मीराके ससुराल वालोको रास नही आया | उन्होने मीराको विषका प्याला दिया | लेकीन
"राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया    
मीरा गोविंद गोपाल गाने लगी ||" 
यह सब बाते, वैसेही राणाप्रताप का त्याग, उनका बलिदान, भिल्ल लोगोंके साथ रहना, मानसिंहसे हल्दीघाटीमे लडना, मानसिंह का राणा प्रताप ने  फेंके हुये भालेंसे बचना,  महाराणा के चहेते घोडे चेतक की मृत्यू, उनके भाई शक्तीसिंह, पुत्र अमरसिंह ऐसी कई बाते याद आ रही थी | राणा वंश, उनका गौरवशाली इतिहास, उनका त्याग, बलिदान महाराणा प्रताप का त्याग यह सब बाते, चितौड का प्रेरणादायी इतिहास मनमें घुम रहा था, हम विजयस्तंभ के करीब जा रहे थे | सामने दिखी दिवार कुछ जानी पहचानीसी लग रही थी | ऐसा लगा यह दिवार पहले भी कंही देखी है | तभी हमारे गाईडने हमे रोका और एक दिवार की तरफ निर्देश करते हुये कहा की यहाँ “आज फिर जीने की तमन्ना है” गानेमे वहीदा रहमानजी का नृत्य चित्रीत किया था | देव साब के गाईड फिल्म का वह गाना तुरंत याद आया| बर्मनदा, शैैैलेेंंद्रजी, लताजी ये सभी याद आये| देव साब और उनके गानो का फॅन होने के कारण उस जगह पोस्ट के साथ आपलोड की हुयी यह तसवीर खिंचने के लिये मै अपने आप को रोक नही पाया | अब हमारा लौटनेका वक्त समीप आ गया था|डूबते हुये सुरजके सामनेसे घोडे के आकारमे एक बादल दिखाई दे रहा था| ऐसा लग रहा था के जैसे चेतक दौड रहा हो|मनमें
 "सुरज के तेज जैसा चमके जिसका भाल, लालोमें लाल भारत माता का लाल , जीसने सुख को त्याग कर धर्म अपना मान कर , कर दिया बलिदान जीवन मातृभूमी के नाम पर " 
ऐसे परम पराक्रमी महाराणा, रजपूतोंके इतिहासकी तथा रतनसिंह, पन्ना दायी, महाराणी पद्मिनी, गोरा-बादल  आदी विरों की यांदे समेटे, रजपूतों का वह गौरवशाली इतिहास "फिरसे जीने की तमन्ना" लिये हम लौट रहे थे|



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